भारत और चीन जैसे देशों में बढ़ते वायु प्रदूषण की वजह से वहां रहने वाले लोगों को किडनी या गुर्दे की बीमारियों के उच्च विकास के जोखिम का सामना करना पड़ सकता है। हम में से अधिकांश लोगों को लगता है कि वायु प्रदूषण केवल सांस लेने में तकलीफ और फेफड़ों पर हानिकारक प्रभाव से जुड़ा है। लेकिन नया अध्ययन बताता है कि बढ़ता वायु प्रदूषण गुर्दे की बीमारी को भी बढ़ा सकता है। यदि गुर्दे के संक्रमण या गुर्दे की बीमारी का इलाज न किया जाए, तो यह गुर्दे की विफलता या किडनी फेल्योर का कारण बन सकता है। वहीं, जिन लोगों को गुर्दे की बीमारी का देर से पता चलता है, उन्हें फिर इसके लिए डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट करवाना पड़ता है।
क्या कहती है रिसर्च?
इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया है कि भारत और चीन जैसे देशों में बढ़ते वायु प्रदूषण की वजह से इन देशों में रहने वाले लोगों को गुर्दे की बीमारियों के उच्च विकास के जोखिम का सामना करना पड़ सकता है। अध्ययन में कहा गया है कि ये निष्कर्ष विशेष रूप से उच्च वायु प्रदूषण वाले देशों के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं, जैसे कि अमेरिका, जहां बाकी देशों की तुलना में वायु प्रदूषण 5 से 10 गुना अधिक है।
अध्ययनों से पता चला है कि वायु प्रदूषण गुर्दे को भी प्रभावित करता है, जो खून के लिए फिल्टर के रूप में कार्य करता है।
अमेरिका में जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता मैथ्यू एफ ब्लम ने कहा, "दुनिया भर में क्रोनिक किडनी डिजीज की दर बढ़ने के साथ-साथ यह समझना महत्वपूर्ण है कि वायु प्रदूषण किडनी संबंधी बीमारियों के जोखिम के लिए कैसे भूमिका निभाता है।"
10,997 लोगों पर की गई रिसर्च?
अमेरिकन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी के क्लिनिकल जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं की टीम ने अमेरिका में चार जगहों पर 10,997 वयस्कों की जांच की, जिन्हें कि उन्होंने 1998 से 1996 और 2016 तक फॉलोअप किया। शोधकर्ताओं ने वायु प्रदूषण के पर्टिकुलेट मैटर का महीने के आधार औसत स्तर का अनुमान लगाया। इसमें प्रतिभागियों के घर के पते के आधार यह अनुमान था। उन्होंने कहा कि पर्टिकुलेट मैटर के कई स्त्रोत हैं, जिसमें जीवाश्मी ईंधन, औद्योगिक प्रक्रियाओं और प्राकृतिक स्रोत शामिल हैं।
टीम ने पाया कि पर्टिकुलेट मैटर की अधिक मात्रा एल्ब्यूमिन्यूरिया की अधिक मात्रा क साथ जुड़ा हुआ था। यह गुर्दे की शिथिलता का एक मार्कर है, वहीं समय के साथ क्रोनिक किडनी डिजीज के विकास का एक उच्च जोखिम। शोधकर्ताओं के अनुसार, भविष्य के अध्ययनों से यह जांच होनी चाहिए कि क्रोनिक किडनी डिजीज को कम करने सहित वायु गुणवत्ता की उपज के स्वास्थ्य लाभ में सुधार के प्रयास किए गए हैं या नहीं।
वायु प्रदूषण से बचने के उपाय
- घर से बाहर निकलते समय करें पॉल्यूशन मास्क पहनकर निकलें।
- पाल्यूशन बढ़ने पर करें घर में एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल।
- शरीर को डिटॉक्स करने के लिए अदरक, नींबू और शहद की चाय बनाकर पिएं। यह चाय आपके शरीर को डिटॉक्स करेगी और आपकी प्रतिरक्षा को बढ़ाने में मदद करेगी। क्योंकि इस चाय में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं, जो आपके शरीर में जमा होने वाली गंदगी का सफाया करते हैं।
- सबसे आसान तरीका है कि आप अपने शरीर को डिटॉक्स करने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं और चाहें, तो आप तुलसी के रस को पानी में मिलाकरे पी सकते हैं।
- इसके अलावा, गुड़, मुलेठी की चाय, हल्दी वाला दूध पीने से भी आपको प्रदूषण से बचने में मदद मिल सकती है।